Friday, 8 May 2020

टाइम्स ऑफ लॉकडाउन "मेरी दिनचर्या"

कोविड 19 के चलते पूरी दुनिया में लॉक डाउन हो गया है।पहली बार महसूस हुआ कि दुनिया बहुत छोटी है।
    आजकल तो दिनचर्या काफी बदल गयी है।भागदौड़ और हड़बड़ी का स्थान ठहराव और संयम ने ले लिया है।सुबह जल्दी उठने की आदत तो पहले से ही थी पर वह समय पढ़ने - पढ़ाने और अपने स्कूल की और दौड़ने में निकल जाता था।
सुबह उठ कर गंगा किनारे पर जा कर वाक करना और  कोयल की मधुर तान सुनना मन को एक अलग ही जहाँ में ले जाता है।चिड़ियों का कलरव, कबूतरों का गुटरगूँ इतने करीब  सांस रोक कर सुनना बहुत सुहाता है।
      इस समय नारंगी रंग का सूरज जब अपनी रश्मियों के साथ जब सतरंगी छटा बिखराता है तो अपने तन पर उन ठंडी सी धूप की छुवन का अहसास मन को ही नहीं तन को भी ऊर्जा से भर भर जाता है।
          इस बार तो अढ़उल के फूल खूब फूले हैं।पेड़ लाल लाल फूलों से ढके हुए हैं बीच बीच में हरे पत्ते नज़र आते हैं।हो सकता है हर बार अढ़उल खिलते हों पर कभी नज़र नहीं पड़ी उनके सौंदर्य पर। पता है अढ़उल का फूल ऊपर से चटक लाल होता है और अंदर से पीला।उसे देख कर न जाने क्यों मुझे उसमें अपनी परछाई दिख गयी। मेरी ज़िंदगी देखने में बेहद खुशनुमा दिखती है पर अंदर से कितनी उदास है यह तो मुझे अभी पता चला जब मैंने अपने आप को कई सवालों का जवाब देने का प्रयास किया।
      घर के सभी काम मिलजुल कर करने के बाद मैं ऑनलाइन स्कूल और क्लासेज में जुट जाता हूं। यह कहना तो भूल ही गया कि हर रोज़ स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना बनाने की ज़िम्मेदारी मां ने संभाल रखी है।हम सब के घर रहने से वो भी खुश रहती हैं।
   दिन को एक घंटे की पूरी सुकून नींद रिचार्ज कर देती है शाम के लिए।शाम को सब का साथ में बैठ कर अंताक्षरी , कार्ड्स या चैस खेलना सब को एक साथ बांधे रखता है।शाम की आरती और आधे घंटे का मैडिटेशन आत्मा और परमात्मा दोनों से बॉन्ड बना देता है।
         सुनो आसमान नीले रंग का होता है और रात को ऐसा दिखता है जैसे आसमानी रंग की साड़ी पर सुनहरी रंग के सलमें सितारे कढ़े हुए हों।देर तक उनको देखते रहने में बहुत आनंद आता है।
  वीकेंड्स पर सब फैमिली ग्रुप्स और फ्रेंड ग्रुप्स पर वीडियो चैट करने लगे हैं। मेरे साथ भागलपुर में हॉस्टल में रहने वाले दोस्त फिर से ज़ूम की मदद से एक साथ बात कर अपनी ज़िंदगी के किस्से और हिस्से बांट रहे हैं और अपने भविष्य के सवालों का उत्तर खोज रहे हैं।
        हमें तो सब कुछ अच्छा लग रहा है अपनों के और खुद अपने आप के इतने करीब कभी नहीं थे।इतना तो खुद को भी हम नहीं जानते थे जितना अब जाने।
  उन सब के लिये अफसोस होता है जो covid19 की चपेट में आ कर अपनी ज़िंदगी से हाथ धो बैठे।उनके परिवार को ईश्वर शक्ति दे कि वो यह सहन कर सके।
      सभी घर में रहें,सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें।योगा करते रहें और इम्युनिटी बनाए रखें।

6 comments:

  1. हर्षित सर, आप प्राकृतिक के इतना नजदीक रह कर उनको महसूस आज लॉक डाउन में किया , सराहनीय पहल है. आपके द्वारा लिखा गया एक-एक पंक्ति, एक एक शब्द बहुत ही प्रभावशाली है . जो हमारे हृदय को छू जाता है. मैं भी प्राकृतिक से बहुत लगाव रखता हूं. मुझे बहुत स्नेह, प्रेम मनिहारी में आकर प्रकृति से हुआ. मुझे रस आनंद की प्राप्ति होती है. आपके भाव को पढ़कर मैं अनंत आनंदित महसूस किया. इस भाव के लिए आपको साधुवाद.

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    1. आपका बहुत बहुत आभार सर

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  2. वाह !आप तो विज्ञान और गणित की छत्रछाया में रहकर साहित्य की भी साधना करने लगे। बहुत बहुत बधाई।

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  3. वाह हर-सीत जी👌👌👌 ऐसी अद्दभुत परिकल्पना काफी दिनों बात पढ़ने को मिली👍👍 आशीर्वाद

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