Thursday, 31 March 2022

मेरी अधूरी कहानी

ढलते दिन का संगीत सुनकर,
रखता हूँ राख, बुझते जीवन से चुनकर,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ,
एक अधूरी सी कहानी है, जो मनभर गुनगुनाता हूँ!!

तारों में लिखी कहानी चुनकर,
खिलता हूँ एक आखरी निशानी बनकर,
रेत के घरौंदे सा रचता मिटाता हूँ,
एक अधूरी सी कहानी है, जो मनभर गुनगुनाता हूँ!!

फूलों से टपकी लोरियाँ सुनकर,
रखता हूँ नींद से सपने चुनकर,
परियों के किस्सों सा जीवन गढ़ता जाता हूँ,
एक अधूरी सी कहानी है, जो मनभर गुनगुनाता हूँ!!

पुरवाई के झोंकों से झूमकर,
रखता हूँ मौजों को सहेज कर,
पानी की बूँदों सा बहता जाता हूँ,
एक अधूरी सी कहानी है जो मनभर गुनगुनाता हूँ!!

रात के अंधेरों से लिपट कर,
रखता हूँ तारों को समेट कर,
अमावस के चाँद सा खिलता जाता हूँ,
एक अधूरी सी कहानी है,जो मनभर गुनगुनाता हूँ!!!

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