Thursday, 28 May 2020
ग़रीबी : एक अभिशाप
गरीबी मनुष्य के जीवन में एक मिट्टी की मूर्ति के समान स्थायीत्व और चुपचाप सबकुछ देखकर सहने के लिए मजबूर करती है शायद उसकी यही मजबूरी उसके जिन्दगी के सफर में एक कोढ़ पैदा कर देती है।ईश्वर ने भी मनुष्य को अजीबोगरीब बना दिया है। किसी को ऐसा बनाया है कि वो खाते -खाते मर जाता है कोई खाये बिना मर जाता है। वास्तव में जब कोई गरीबी की मार झेलता है न जाने उसे कैसी -कैसी यातनाएँ झेलनी पड़ती होगी।उसके उपर क्या गुजरती होगी।वो अच्छा कार्य करने के पश्चात् भी किसी के सामने उसमें कहने की हिम्मत नहीं होती उसके अन्दर बहुत सी बातें आती है लेकिन समाज ने ऐसा उसे एक दर्जा प्रदान कर दिया है वो उसी के दायरे में रहकर अपने हर काम को करने के लिए मजबूर हो जाता है।इतना ही नहीं इन गरीबों के प्रति सरकार भी अव्यवहार करती है इनके लिए अलग वर्ग बांट कर दिया गया है। गरीबों के लिए गरीब भोजन गरीबों के लिये गरीब आवास गरीबों के लिए ट्रेनों में गरीब ट्रेन (सामान्य बोगी) बना दी गई।उस ट्रेन में एक तरफ लोगों को बैठने के लिये जगह नहीं मिलता है दूसरी तरफ़ लोग आराम से पैर फैला कर मीठे सपने बुनते सफर करते हैं।एक तरफ लोगों की समस्या के वजह से हालत खराब हो रही है दूसरी तरफ सपनों की नदी में तैरते हुए आनंद के साथ सफर कर रहे हैं।जिन्दगी का सफर दोनों काट रहे हैं एक तरफ आनंददायक है तो एक तरफ दुखदायक है।क्या ईश्वर की लीला है जिन्होंने मनुष्य को बनाते समय अपने पर भी गर्व किया होगा कि मैंने भी एक अच्छे इंसान को बनाया है। लेकिन वो बनाते समय यह नही सोचे होगें कि ये लोग इतनी बडी हैवानियत को अपने अन्दर पाल लेंगे। फिर लौटते है उस गरीब की तरफ जो एक दाना के लिए किसी चौराहे पर सुबह से शाम तक पेट की छुदा को शान्त करने के लिए एक मनुष्य ही मनुष्य के चेहरे को एक टक देखते रहता है उसकी याचना भरी आखों के सामने कई तरह के चेहरे शाम तक नजर आते है। फिर भी उसके पेट की भुख समाप्त नहीं हो पाती है। और उसी रास्ते के बगल में आसमान रूपी छत के नीचे अपनी नींद को पुरा करना चाहता है पर भुख के मारे उसकी नींद पुरी नही होती है और स्वास्थ्य खराब हो जाते है उसके जिन्दगी का सफर पुरा नही हो पाता है ।उस गरीब के रह जाते हैं अधुरे सपने अधूरे ख्वाब और रह जाती है अधूरी जिन्दगी। मुझे लगता है ऐसे इनका कोई अस्तित्व नहीं है आज के समय में,हाँ इनका एक अस्तित्व है जब किसी को इनकी जरूरत पड़ती है तो चले आते हैं इनका शोषण करने के लिए और अपना स्वार्थ सिद्धि पुरा कर लेते हैं। शायद यही एक गरीब का हाल होता है। आज के समय में एक गरीब होना सबसे बड़ा गुनाह है। हे ईश्वर सबको सबकुछ देना लेकिन गरीबी मत देना।
Friday, 8 May 2020
टाइम्स ऑफ लॉकडाउन "मेरी दिनचर्या"
कोविड 19 के चलते पूरी दुनिया में लॉक डाउन हो गया है।पहली बार महसूस हुआ कि दुनिया बहुत छोटी है।
आजकल तो दिनचर्या काफी बदल गयी है।भागदौड़ और हड़बड़ी का स्थान ठहराव और संयम ने ले लिया है।सुबह जल्दी उठने की आदत तो पहले से ही थी पर वह समय पढ़ने - पढ़ाने और अपने स्कूल की और दौड़ने में निकल जाता था।
सुबह उठ कर गंगा किनारे पर जा कर वाक करना और कोयल की मधुर तान सुनना मन को एक अलग ही जहाँ में ले जाता है।चिड़ियों का कलरव, कबूतरों का गुटरगूँ इतने करीब सांस रोक कर सुनना बहुत सुहाता है।
इस समय नारंगी रंग का सूरज जब अपनी रश्मियों के साथ जब सतरंगी छटा बिखराता है तो अपने तन पर उन ठंडी सी धूप की छुवन का अहसास मन को ही नहीं तन को भी ऊर्जा से भर भर जाता है।
इस बार तो अढ़उल के फूल खूब फूले हैं।पेड़ लाल लाल फूलों से ढके हुए हैं बीच बीच में हरे पत्ते नज़र आते हैं।हो सकता है हर बार अढ़उल खिलते हों पर कभी नज़र नहीं पड़ी उनके सौंदर्य पर। पता है अढ़उल का फूल ऊपर से चटक लाल होता है और अंदर से पीला।उसे देख कर न जाने क्यों मुझे उसमें अपनी परछाई दिख गयी। मेरी ज़िंदगी देखने में बेहद खुशनुमा दिखती है पर अंदर से कितनी उदास है यह तो मुझे अभी पता चला जब मैंने अपने आप को कई सवालों का जवाब देने का प्रयास किया।
घर के सभी काम मिलजुल कर करने के बाद मैं ऑनलाइन स्कूल और क्लासेज में जुट जाता हूं। यह कहना तो भूल ही गया कि हर रोज़ स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना बनाने की ज़िम्मेदारी मां ने संभाल रखी है।हम सब के घर रहने से वो भी खुश रहती हैं।
दिन को एक घंटे की पूरी सुकून नींद रिचार्ज कर देती है शाम के लिए।शाम को सब का साथ में बैठ कर अंताक्षरी , कार्ड्स या चैस खेलना सब को एक साथ बांधे रखता है।शाम की आरती और आधे घंटे का मैडिटेशन आत्मा और परमात्मा दोनों से बॉन्ड बना देता है।
सुनो आसमान नीले रंग का होता है और रात को ऐसा दिखता है जैसे आसमानी रंग की साड़ी पर सुनहरी रंग के सलमें सितारे कढ़े हुए हों।देर तक उनको देखते रहने में बहुत आनंद आता है।
वीकेंड्स पर सब फैमिली ग्रुप्स और फ्रेंड ग्रुप्स पर वीडियो चैट करने लगे हैं। मेरे साथ भागलपुर में हॉस्टल में रहने वाले दोस्त फिर से ज़ूम की मदद से एक साथ बात कर अपनी ज़िंदगी के किस्से और हिस्से बांट रहे हैं और अपने भविष्य के सवालों का उत्तर खोज रहे हैं।
हमें तो सब कुछ अच्छा लग रहा है अपनों के और खुद अपने आप के इतने करीब कभी नहीं थे।इतना तो खुद को भी हम नहीं जानते थे जितना अब जाने।
उन सब के लिये अफसोस होता है जो covid19 की चपेट में आ कर अपनी ज़िंदगी से हाथ धो बैठे।उनके परिवार को ईश्वर शक्ति दे कि वो यह सहन कर सके।
सभी घर में रहें,सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें।योगा करते रहें और इम्युनिटी बनाए रखें।
Sunday, 3 May 2020
जीवन का दर्द
वो एक दिन मेरी डायरी पढ़ने बैठी
पहला ही पन्ना पढ़ा और झटके में
पांच, छह पन्ने पलट दिए
शायद वो दर्द को पीछे छोड़ देना चाहती थी
लेकिन उसे अंदाज़ा न था
कि वह किनारा छोड़
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नए साल की शुभकामनाएं!
नए साल की शुभकामनाएं! खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को, कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को, नए साल की शुभकामनाएं! जाँते के गीतों को, बैलों...
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उतर सकता था लहरों के साथ, रक्षा की रस्सी कफ़न हो गयी। पंखों पे लग गये पहरे सफ़र में, उड़ने की आशा दफ़न हो गयी। यही नाव मन था आशा हिलोरें बाँ...
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ना जाने कौन है वो लोग जो कहते है, We are proud to be Indians? ना जाने कैसे सो जाते है वो ना मर्द, जो कभी जाति तो कभी धर्म तो कभी बदले की आग ...
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नया साल दस्तक दे चुका है । छोटे कदमों से बेहतरी की ओर बढे। बदलाव की ओर बढ़े । छोटी-छोटी खुशियों को जीना सीखें। नया साल दस्तक देने को है।आपने...