प्रिय 2021 ,
तुझे हमारा आखरी सलाम। हमारा सफर यहीं तक था ।आज हमारी यह दोस्ती सदा सदा के लिए खत्म हो जाएगी। जब तू आया था तो हमने बहुत अपेक्षाएं की थी तुमसे। सोचा था कुछ नई उपलब्धियां हमारे हाथ लगेगी, परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। तूने एक ही झटके में सारी उपलब्धियों को धूमिल कर दिया। तेरी इस छोटी सी जिंदगी( 1 जनवरी से 31 दिसंबर) में तूने हमें बहुत तड़पाया। कहीं अपनों को तूने एक दूसरे से जुदा कर दिया । सबके दिल में अपने साथी कोरोना का भय बिठा दिया। साथी भी लाया तो कोरोना जैसा लाया । यार, कम से कम दोस्त तो ढंग का लाना था।
किस पर तूने अपना कहर नहीं बरपाया। किसानों को तूने पानी के लिए तरसा दिया था और फिर जब बरसा तो आज भी तेरे ही जीवन काल में किसान सड़कों पर खड़े हैं।
विद्यार्थियों को देख ले। कितनी अपेक्षा की थी तुमसे । सोचे थे कि कुछ नई उपलब्धियां हांसिल करेंगे ,परंतु उनके स्कूल कॉलेज भी बंद करवा दिया तूने । पढ़ाई जिसकी वह पूजा करते हैं तूने तो उससे इन की दूरियां बढ़ा दी।
बॉलीवुड के नामी सितारे छीन लिए। किसानों के लिए आज भी सर दर्द बना हुआ है। दो जून की रोटी कमाने वाले मजदूरों को तूने एक एक रोटी के टुकड़े के लिए तरसा दिया । व्यापारियों का धंधा ठप कर दिया । क्या नहीं किया तूने ? जो लोग जैसे तैसे नौकरी करके अपना जीवन यापन कर रहे थे। ऐसे कई लोगों की तू नौकरियां खा गया। दर्द ही दर्द दिया है तूने। खिलाड़ियों के खेल छीन लिए । खेल के मैदान ,बड़ी बड़ी होटल ,बड़े बड़े मॉल, सिनेमा हॉल, रेल ,बस ,हवाई यात्रा सब बंद करवा दी।
जो मित्र एक दूसरे से मिले बिना एक पल नहीं रह सकते थे उनको तूने महीनों एक दूसरे से दूर कर दिया। कई प्रेमी प्रेमिका तेरे ही कारण विरह की आग मे तपते रहे।
परंतु इतना याद रख। तेरी इन सब करतूतों के बाद भी मानव जाति ने तुझ से हार नहीं मानी। कुछ नया करके भी दिखलाया। तेरे इस कोप से कोई भी नहीं डरा । देख ही लिया होगा तूने।
अचानक हमला जरूर किया था हमें संभलने का मौका तक नहीं दिया था । कम से कम एक बार बता तो देता कि मेरा एक दोस्त आ रहा है जो तुम्हें जान से मारने आएगा तो हम थोड़ा संभल जाते।
पर फिर भी हम समले।
मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान पर इसी तरह हमला किया था जैसे तूने हम पर किया। पर हौसला देख हमारा डरे नहीं हम तुझसे। हमने तालियां और थालिया बजाई। हमने दिए जलाए।
स्वच्छता के प्रति हम थोड़े से लापरवाह हो गए थे। परंतु अब हम लापरवाह नहीं रहे। हमने स्वच्छता को महत्व देना शुरू कर दिया।
अरे जा, तेरे जैसे कायरो से तो हम बात भी नहीं करते इसलिए हमने अपने मुंह को हमेशा ढकना शुरु कर दिया मास्क लगाकर। देखते हैं तू हमारा क्या बिगाड़ लेगा। मानव जाति के लिए खतरा बनने आया था तू? तेरी तरह न जाने पहले कितने आए हैं और चले गए । हर बार हम उठे हैं। हर बार हमने संघर्ष किया है और हर विरोधी को हमने हराया है। हम तुम्हें भी हराएंगे ।
लॉकडाउन जिसके लिए किसी ने सोचा नहीं था। वह भी तेरे ही जीवन काल में लगा, परंतु एक अच्छा सबक उस लॉक डाउन से हमें मिला। हर चीज ऑनलाइन मंगाने लगे थे । हम भूल गए थे हमारे पड़ोस में भी कोई दुकान चलती है और उस दुकान से किसी का पेट भरता है पर तूने हमें वापस उसी जगह जाना सिखा दिया । रामू की दुकान से पिताजी अक्सर हमारे लिए मिठाई ले आते थे पर हम वहां जाना भूल गए थे । तेरे आने से हमने भी वहीं से सामान खरीदना शुरू कर दिया। तूने हमें परास्त करना चाहा तो हमने लोकल फॉर वोकल का नारा दिया। और एक दूसरे का साथ देने की ठान ली। तू हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाया। तेरा साथी कोरोना भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। पहले केवल सैनिक ही रक्षक समझे जाते थे परंतु अब डॉक्टर नर्स है और कहीं समाजसेवी लोगों ने डटकर मुकाबला किया और तुम्हें बता दिया कि वक्त पड़ने पर पूरी मानव जाति एक होकर किसी भी संकट का सामना कर सकती है। जो लोग हमारी ढाल बने हैं हम दिल से इनका सम्मान करते हैं। इन्होंने भी हमें बता दिया हर व्यक्ति एक सैनिक की तरह होता है जो किसी न किसी कार्य में दक्ष होता है और जरूरत पड़ने पर उसे मानव जाति के लिए कार्य करने चाहिए। दिन रात एक कर दिया डॉक्टर और नर्सों ने। समाजसेवियों ने हर कुछ व्यक्ति तक खाना पहुंचाया जिसे तू भूखे मार देना चाहता था। कितने संकट दिया तूने। प्रवासी घर छोड़ चुके थे । कोई रेल की पटरी पर कोई सड़क के किनारे रात गुजार रहा था । वह भी मार्च की धूप में । नंगे पैर नंगे बदन फिर भी हम लड़े। हमने तुम्हारा डटकर सामना किया। आज भी हम हारे नहीं है। विजय आखिरकार हमारी हुई है। कई भामाशाह सामने आए जिन्होंने आशा की एक किरण बनकर लोगों के जीवन बचाने का कार्य किया। प्रवासियों को वापस घर मिला ।
हम भी थोड़े आधुनिक हो गए थे। गांव से शहरों की तरफ पलायन कर चुके थे। पर जब हम पर खतरा आया तो हम शहरों से वापस गांव आए। अपनों के साथ रहे। अपनापन हमें फिर से देखने को मिला। जिस अपनेपन को हम कोसो दूर छोड़ चुके थे जिस अपनेपन से हम दूर जा चुके थे और धीरे-धीरे एकांत एकाकी जीवन पसंद करने लगे थे। उसे छोड़कर हमने फिर अपनों के साथ जीना शुरु किया।
2021 तू जैसा भी था हमारे जीवन में आया था। इसलिए हम तुझसे नफरत भी नहीं कर सकते हैं परंतु अब तेरे साथ भी हम नहीं रहना चाहते।
अब हम 2022 का तहे दिल से स्वागत करेंगे और उम्मीद करेंगे कि यह दोस्त 2021 की तरह ना निकले। यह हमें नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएं ।यह भारत को नई बुलंदियों छूने का अवसर दें । यह सभी मानव जाति एवं जीव जंतुओं में प्रेम और समर्पण की भावना भर दे।
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया को सार्थक करें।
सभी को अपने-अपने लक्ष्य प्राप्त हो।
कोई इस दुनिया में दुखी ना हो ।
कोई निरोगी ना हो ।
इसी उम्मीद के साथ और नई उमंग के साथ हम 2022 का स्वागत करेंगे और अंत में तुमसे यही कहते हैं-----
तू अपने साथी कोरोना को भी वापस लेकर जाना।
और फिर कभी ना ,फिर कभी ना आना।।